सोशल मीडिया ग्रुप एडमिन रहें सावधान — पुलिस ने जारी किए सख्त निर्देश, अभद्र भाषा और अपमानजनक पोस्ट पर होगी कार्रवाई



गौरेला–पेंड्रा–मरवाही ।। साइबर सेल द्वारा सोशल मीडिया ग्रुप एडमिन्स को एक महत्वपूर्ण अपील जारी की गई है। इस अपील में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे WhatsApp, Telegram, Facebook Groups आदि पर ग्रुप एडमिन की भूमिका केवल तकनीकी नहीं, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी से भी जुड़ी हुई है।
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि किसी भी ग्रुप में यदि गाली-गलौज, अभद्र भाषा, अफवाह, बदनाम करने वाली पोस्ट या धर्म, जाति, समाज के प्रति भेदभावपूर्ण टिप्पणी की जाती है और एडमिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं करता, तो उसे भी दोषी माना जा सकता है।
⚖️ प्रमुख कानूनी प्रावधान:
1️⃣ आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 — अश्लील या अभद्र सामग्री प्रसारित करने पर 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
2️⃣ आईटी एक्ट धारा 66A — किसी व्यक्ति को धमकी, परेशान करने या अपमानजनक संदेश भेजना दंडनीय अपराध है।
3️⃣ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 153A, 295A, 500, 505(2) —
धार्मिक या जातीय नफरत फैलाना,
किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना,
अफवाह फैलाना — गंभीर अपराध हैं।
📋 एडमिन के लिए आवश्यक सावधानियाँ:
सार्वजनिक ग्रुप्स में “Only Admins Can Send Messages” मोड रखें।
किसी भी आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंत हटाएं और भेजने वाले को ब्लॉक करें।
ऐसे मामलों की सूचना तुरंत निकटतम पुलिस थाना या साइबर सेल को दें।
समूह में जोड़े गए सदस्यों की वास्तविक पहचान सुनिश्चित करें।
ग्रुप का उद्देश्य और आचार संहिता पहले से स्पष्ट रखें।
🛡️ पुलिस की चेतावनी:
सोशल मीडिया पर बुलीइंग, अभद्र भाषा, धर्म या जाति आधारित टिप्पणी, या किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला कंटेंट पोस्ट करना कानूनी कार्यवाही योग्य अपराध है।
ग्रुप एडमिन की निष्क्रियता को भी अपराध में सहयोग माना जा सकता है।
पुलिस विभाग की अपील: “सोशल मीडिया को संवाद और जागरूकता का माध्यम बनाएं,
नफरत और अपमान का नहीं।”
— साइबर सेल, गौरेला–पेंड्रा–मरवाही

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