बिलासपुर रेलवे स्टेशन में छठ गीत बजाने का छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने किया विरोध — कहा, 1 नवंबर को राज्य गीत बजाना होगा, नाहीं त होही बड़ा आंदोलन।

0
IMG-20251029-WA0937.jpg

बिलासपुर । दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर रेलवे स्टेशन परिसर में बिहार राज्य के पर्व छठ तिहार के गीतों का सार्वजनिक रूप से प्रसारण किए जाने पर छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने गहरा विरोध जताया है। संगठन ने कहा कि यह कृत्य न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अस्मिता के प्रति उपेक्षा का प्रतीक है, बल्कि राज्य की जनभावनाओं का भी अपमान है।

क्रान्ति सेना के पदाधिकारियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 25 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज भी यहाँ के तीज-त्योहार — हरेली, तीजा, पोला, मातर, नवाखाई जैसे पर्वों पर सरकारी संस्थानों में एक भी छत्तीसगढ़ी गीत या भजन का प्रसारण नहीं किया जाता। दूसरी ओर, रेलवे प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों के पर्वों को मंच और प्राथमिकता देना छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने का प्रयास है।

सेना ने कहा कि बिलासपुर रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ के ह्रदय स्थल में आता है, जहाँ प्रतिदिन हजारों यात्री गुजरते हैं। ऐसे स्थानों पर यदि प्रदेश के अपने गीत, संस्कृति और तीज-त्योहारों का सम्मान नहीं होगा, तो यह आम छत्तीसगढ़िया नागरिक के आत्मसम्मान से जुड़ा सवाल है।

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि रेलवे प्रशासन ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए तुरंत सुधारात्मक कदम नहीं उठाया, तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा। उन्होंने माँग की है कि आगामी 1 नवंबर, जो छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस है, उस दिन रेलवे स्टेशन परिसर में छत्तीसगढ़ का राज्य गीत “अरपा पैरी के धार” का प्रसारण अनिवार्य रूप से किया जाए। साथ ही भविष्य में छत्तीसगढ़ के त्यौहारों पर भी राज्य की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े गीत-भजन बजाए जाएँ।

सेना ने कहा कि सरकारी संस्थानों को हर राज्य की संस्कृति का समान सम्मान करना चाहिए, न कि किसी एक राज्य विशेष को महत्व देना चाहिए। यदि इस प्रकार का भेदभाव आगे भी जारी रहा तो छत्तीसगढ़िया समाज व्यापक आंदोलन छेड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest News

error: Content is protected !!