पीएम मोदी कल करेंगे अंतर्राष्ट्रीय आर्य सम्मेलन का उद्घाटन।



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली । महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज की सेवा के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 30 अक्टूबर से 02 नवंबर 2025 तक राजधानी नई दिल्ली में चार दिवसीय सार्द्ध शताब्दी समारोह – अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का भव्य आयोजन स्वर्ण जयंती पार्क रोहिणी में किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्घाटन कल 31 अक्टूबर को दोपहर एक बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जायेगा , इस अवसर पर पीएम मोदी जनसमूह को संबोधित करेंगे और विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप वैदिक सिद्धांतों और स्वदेशी मूल्यों के प्रसार का आह्वान करेंगे। यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले दो वर्षों से चल रहे वैश्विक उत्सव का भव्य समापन है। अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 महर्षि दयानंद के अमर संदेश — “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” (आओ , हम विश्व को श्रेष्ठ बनायें) — को पुनः प्रतिध्वनित करता है। सम्मेलन का उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती की सुधारवादी और शैक्षिक विरासत के प्रति सम्मान जताना , शिक्षा , समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा का उत्सव मनाना है। इस सम्मेलन में “सेवा के 150 स्वर्णिम वर्ष” शीर्षक से एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जायेगी जो शिक्षा , सामाजिक सुधार और आध्यात्मिक उत्थान में आर्य समाज के योगदान के माध्यम से उसकी परिवर्तनकारी यात्रा को प्रदर्शित करेगी। यह प्रदर्शनी भारत और विदेशों में आर्य समाज इकाईयों के प्रतिनिधियों को एकसूत्र में जोड़ेगी , जो महर्षि दयानंद के सुधारवादी आदर्शों और संगठन की वैश्विक पहुँच की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को दर्शायेगी। सम्मेलन के दौरान वैदिक धर्म , शिक्षा , समाज सुधार , महिला सशक्तिकरण , वैदिक शोध संगोष्ठी , पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक शांति जैसे विषयों पर विविध सत्र और विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जायेंगी। इसके साथ ही आर्य समाज के 150 वर्षों की उपलब्धियों को दर्शाने वाली प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी होंगी। प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से आर्य समाज के योगदान और महर्षि दयानंद के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा। महर्षि दयानन्द सरस्वती के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से आयोजित यह महासम्मेलन आर्य समाज के इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर सिद्ध होने जा रहा है। वेदों के शाश्वत ज्ञान पर आधारित यह एक वैश्विक पहल है , जिसका मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण को बढ़ावा देना और सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों का उत्थान है। इसका उद्देश्य वैदिक ज्ञान का प्रकाश फैलाना , विश्व बंधुत्व के आदर्शों का समर्थन करना , विभिन्न संप्रदायों , धर्मों और समुदायों के बीच वैमनस्य और विभाजन को समाप्त करना है।इस सम्मेलन में मॉरीशस , अमेरिका , ब्रिटेन , दक्षिण अफ्रीका , नीदरलैंड , ऑस्ट्रेलिया और सूरीनाम सहित 35 से अधिक देशों से आये प्रतिनिधि महर्षि दयानन्द के सुधारवादी विचारों पर चर्चा करेंगे। यह आयोजन ना केवल आर्य समाज के 150 वर्षों की प्रेरणादायक यात्रा का उत्सव है , बल्कि आधुनिक समाज में वैदिक सिद्धांतों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित करेगा। सम्मेलन का उद्देश्य विश्वभर में एकता , सद्भाव और मानवता के आदर्शों को सशक्त करना है। उल्लेखनीय है कि आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1875 में की थी। उन्होंने सत्य , समानता और धर्म के सिद्धांतों पर आधारित समाज के निर्माण का आह्वान किया था। आर्य समाज ने भारतीय समाज में नारी सशक्तिकरण , सबके लिये शिक्षा , जातिगत भेदभाव और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के उन्मूलन में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। इसके साथ ही संगठन ने पर्यावरण संरक्षण , आपदा राहत और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।

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