पर्यावरण के अनुकूल कोयला खनन के लिए भूमिगत खनन एक बेहतर तरीका

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• कोयले की उपलब्धता बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण।

रायगढ़ । विशेषज्ञों का मानना है कि देश में मजबूत आर्थिक विस्तार के साथ बिजली की मांग और बढ़ेगी, और इस बढ़ोतरी के साथ-साथ कोयले के उत्पादन पर भी बोझ बढ़ेगा। इसे ध्यान में रखते हुए कोयला मंत्रालय ने कोयला खनन को पूरी तरह से बदलने के लिए एक क्रांतिकारी पहल की शुरुआत की है। भारत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए, पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से कोयला खनन की संभावनाओं को तलाश रही है, जिसमें अंडरग्राउंड माइनिंग (भूमिगत खनन) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ स्थानीय विकास और प्रदेश एवं देश के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। ओपन कास्ट माइनिंग की तुलना में अंडरग्राउंड माइनिंग के कुछ प्रमुख फायदे भी हैं।

जिस प्रकार अनुमानित तौर पर वर्ष 2030-2035 के बीच कोयले की मांग चरम पर पहुंचने की संभावना है, ऐसे में कोयले की उपलब्धता बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने की दृष्टि से अंडरग्राउंड माइनिंग भारत की जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा, दोनों को संतुलित करने में सक्षम है।

पर्यावरणीय रूप से स्वच्छ खनन

पर्यावरण की दृष्टि से अंडरग्राउंड माइनिंग बेहद कारगर साबित हो सकती है। मुख्य रूप से इस विधि द्वारा खनन में वन क्षेत्र को विस्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे भूमि और वन्य जीवन का संरक्षण सुनिश्चित होता है। साथ ही यह भूमि के ह्रास या किसी प्रकार के नुक्सान को रोकने में भी सहायक होता है और उपजाऊ ऊपरी सतह या मृदा को सुरक्षित रखने में कारगर साबित होता है। यह इसे उन क्षेत्रों में अधिक आकर्षक बनाता है जहाँ भूमि की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करना आवश्यक है। अंडरग्राउंड माइनिंग विधि के जरिये जल प्रदूषण पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। भूमिगत खनन से ध्वनि प्रदूषण कम होता है , क्योंकि अधिकांश मशीनरी और खनन गतिविधियाँ ज़मीन के नीचे होती हैं।

सामाजिक दृष्टि से फायदेमंद अंडरग्राउंड माइनिंग

अंडरग्राउंड माइनिंग को समाज-हितैषी माना जाता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में स्थानीय निवासियों को विस्थापित होने का खतरा नहीं रहना, जिससे पुनर्वास और पुनर्स्थापना की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके अतिरिक्त, खनन के इस तरीके में पारंपरिक आजीविकाओं पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता, और कृषि भूमि को भी बिना किसी छेड़छाड़ के सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके साथ ही, महत्वपूर्ण रूप से अंडरग्राउंड माइनिंग से बेहतर गुणवत्ता का कोयला प्राप्त होता है, जिसे गुणात्मक रूप से श्रेष्ठ माना जाता है। यह सीधे तौर पर उच्च श्रेणी के कोयले के आयात को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है, जिससे देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है।

रिकॉर्ड तोड़ कोयला उत्पादन सरकार के रणनीतिक सुधारों और नीतियों को दर्शाता है।  खान और खनिज अधिनियम में संसोधन और कोयला ब्लॉकों की वाणिज्यिक नीलामी के माध्यम से कोयला को निजी क्षेत्रों के लिए खोलना जैसे पहलों से घरेलू कोयले की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे आयात में लगातार कमी आयी है और विदेशी मुद्रा बचत में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।

देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में छत्तीसगढ़ लगातार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कोयला और बिजली उत्पादन में अव्वल रहने वाले इस क्षेत्र का योगदान अब कुछ नए कोयला खदानों के आवंटन और उनके चालू होने से और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। खदानों के संचालन  शुरू होने से न केवल कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी के साथ कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। प्राप्त होने वाले राजस्व से सिंगरौली में सड़कों, अस्पतालों, और शिक्षा संस्थानों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी की उम्मीद की जा सकती है, जिससे स्थानीय निवासियों को बेहतर सुविधाएं तो मिलेंगी ही साथ ही उनकी जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाये जा सकेंगे।

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