अखंड सौभाग्य और प्रेम का पर्व करवा चौथ श्रद्धा, उत्साह और परंपरा के साथ मनाया गया।



मुंगेली । भारतीय संस्कृति में नारी के त्याग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक पर्व करवा चौथ जिलेभर में हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगल कामना के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखकर पूजा-अर्चना की। सुबह से ही महिलाओं में उत्साह देखने को मिला। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए विधिवत पूजा संपन्न की। सुबह से ही महिलाएँ व्रत की तैयारियों में जुट गईं। नए वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, करवा और पूजा की थाली की सजावट के साथ महिलाओं ने अपनी सहेलियों के साथ सामूहिक पूजा का आयोजन किया। बाजारों में सुबह से ही रौनक बनी रही। मिठाइयों की दुकानों, श्रृंगार सामग्री और करवा बेचने वालों के स्टॉल पर दिनभर भीड़ लगी रही। शाम होते-होते पूरा शहर पारंपरिक रंग में रंगा नजर आया। नगर के प्रमुख मंदिरों, महिला मंडलों और कॉलोनियों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवा चौथ कथा सुनी। कथा वाचन के दौरान महिलाओं ने माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना की। बच्चों ने भी इस अवसर पर अपनी माताओं की पूजा तैयारियों में उत्साहपूर्वक सहयोग किया। चांद निकलने की प्रतीक्षा में महिलाएँ छतों और आँगनों में एकत्र हुईं। जैसे ही चंद्रमा का उदय हुआ, महिलाओं ने छलनी से चाँद को देखकर अर्घ्य दिया और अपने पतियों के दर्शन किए। पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारायण किया गया। इस पवित्र क्षण में परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष उर्मिला रमेश यादव ने सभी महिलाओं को करवा चौथ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “यह पर्व भारतीय नारी के अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। यह सिर्फ व्रत नहीं बल्कि जीवन साथी के प्रति स्नेह, आस्था और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।” उन्होंने सभी से समाज में प्रेम, सौहार्द और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करने का आह्वान किया। करवा चौथ के अवसर पर नगर के मिठाई दुकानों, मेहंदी आर्टिस्टों और ब्यूटी पार्लरों में भी दिनभर खासा उत्साह देखा गया। शाम तक शहर के हर मोहल्ले में सजे-धजे आँगन और रंगोली से सजी गलियाँ त्योहार की रौनक बिखेर रही थीं। इस प्रकार पूरे मुंगेली जिले में करवा चौथ का पर्व आस्था, उल्लास और पारंपरिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। महिलाओं की श्रद्धा और प्रेमभाव से सजा यह दिन परिवारों में सुख, सौहार्द और प्रेम की नई ऊर्जा लेकर आया।

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