कन्या महाविद्यालय मुंगेली में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती पर परिचर्चा का आयोजन

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“द मिसाइल मैन ऑफ इंडिया – हमारे कलाम” विषय पर छात्राओं ने साझा किए विचार

मुंगेली । शासकीय कन्या महाविद्यालय, मुंगेली के भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा आज देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और भारत के “मिसाइल मैन” कहे जाने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती के अवसर पर एक प्रेरणादायक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था — “द मिसाइल मैन ऑफ इंडिया – हमारे कलाम”। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ अध्यापक  मदनलाल कश्यप तथा संयोजक डॉ. शशांक शर्मा (अतिथि प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र) रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा डॉ. कलाम के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई।
अपने संबोधन में श्री कश्यप ने कहा कि डॉ. कलाम आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा के महान स्रोत हैं। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि सादगी, ईमानदारी और कठोर परिश्रम से कोई भी व्यक्ति असंभव को संभव बना सकता है। संयोजक डॉ. शशांक शर्मा ने कलाम साहब का प्रसिद्ध प्रेरक वाक्य दोहराया — “सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।” वहीं विज्ञान संकाय के अध्यक्ष राजेश घोसले ने कहा कि कलाम साहब भारत के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं, जिन्होंने विज्ञान के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को भी जीवन का आधार बनाया। परिचर्चा में महाविद्यालय की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। वीणा देवांगन, दुर्गा मानिकपुरी, पूर्णिमा साहू, स्नेहा चतुर्वेदी, राजेश्वरी सत्यम, रेखा पात्रे, संध्या घृतलहरे और आकांक्षा कोसले ने डॉ. कलाम के जीवन, संघर्ष, उनके वैज्ञानिक योगदान और प्रेरणादायी विचारों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक — श्रीमती प्रेमा केरकेट्टा, अविनाश राठौर, डॉ. डिंपल बंजारा, डॉ. डेजी रानी दिवाकर, डॉ. मधु यामिनी सोनी, मनोरमा भास्कर और नीतू राजपूत सहित कार्यालयीन कर्मचारी बलराम यादव, जगन्नाथ जांगड़े, अश्विनी चंद्राकर, इंदु बाला बंजारे, सुशीला अनंत एवं कलावती उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छात्राओं ने बताया कि डॉ. कलाम का जीवन संघर्ष, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है। उनके विचार आज भी हर विद्यार्थी को बड़ा सोचने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रम का संचालन भौतिक शास्त्र विभाग के मार्गदर्शन में किया गया। अंत में अतिथियों और शिक्षकों ने छात्राओं के उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल ज्ञानवर्धक होते हैं, बल्कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रीय चेतना का भी विकास करते हैं।

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