पुलिसकर्मियों के प्रति रखें सहयोग और संवेदनशील दृष्टिकोण – महामहिम राज्यपाल।

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अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर । पुलिस का काम अत्यंत जिम्मेदारी एवं जवाबदेही से भरा होता है। वे शासन के निर्देशों के अनुरूप कानून व्यवस्था बनाये रखने के साथ – साथ समाज में शांति और सुव्यवस्था कायम रखने का कार्य करते है। इन दोनों जिम्मेदारियों के मध्य समन्वय बनाना कठिन होता , जिससे उन्हें मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ता है। आम जनों से आग्रह है कि पुलिस कर्मियों के प्रति सहयोग और संवेदनशील दृष्टिकोण रखें तथा उनके कार्यो मेें मदद करें।
                            उक्त बातें महामहिम राज्यपाल रमेन डेका ने आज चौथी वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल माना रायपुर के प्रांगण में पुुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित परेड कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों की ओर से पुलिस के शहीद वीर जवानों को नमन करते हुये शहीद स्मारक में पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह दिवस अपने कर्त्तव्य के पालन में सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस जवानों के अदम्य साहस , पराक्रम और समर्पण की याद दिलाता है। राज्यपाल ने ऐसे वीर सपूतों के माता पिता को भी प्रणाम किया , जिन्होंने देश को ऐसे निर्भिक जवान दिये। राज्यपाल डेका ने कहा कि पुलिस का सूत्र वाक्य ‘परित्राणाय साधुनाम‘ गीता के उस संदेश को साकार करता है जो धर्म की रक्षा के लिये त्याग और साहस का प्रतीक है। पुलिस कर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर समाज को सुरक्षा और शांति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने घरों में सुुरक्षित रहते हैं , त्यौहार मनाते है तब हमारी पुलिस दिन – रात ड्यूटी पर रहकर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां नक्सलवाद एक बड़ी चुनौती रही है वहां पुलिस ने साहस , धैर्य और निष्ठा के साथ उल्लेखनीय कार्य किया है। पुलिस की तत्परता और कर्त्तव्यनिष्ठा के कारण नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब विश्वास और सुरक्षा की भावना बढ़ी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि छत्तीसगढ़ से शीघ्र ही नक्सल समस्या का पूर्ण उन्मूलन होगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी शहीद जवानों को नमन करते हुये कहा कि 21 अक्टूबर पुलिस बल से जुड़ी एक ऐतिहासिक तारीख है , जो हमें पुलिस की वीरता और समर्पण की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि हमारे पुलिस जवान अपने परिवार की खुशियों का त्याग कर दिन – रात जनता की सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। आज राज्य के दुर्गम इलाकों में विकास का प्रकाश पहुंचाने में हमारे सुरक्षा बलों का अतुलनीय योगदान है।राज्य सरकार भी पुलिस बल को आवश्यक सभी संसाधन और सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च 2026 तक राज्य से नक्सल समस्या के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और यह लक्ष्य हमारे पुलिस बल के सहयोग से अवश्य प्राप्त किया जायेगा। वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुये गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने की दिशा में पुलिस बल ने अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया है। उन्होंने बताया कि अब राज्य सरकार ने शहीदों के परिजनों को पुलिस के अलावा अन्य विभागों में भी अनुकंपा नियुक्ति दी है , जिससे उन्हें बेहतर अवसर मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद जवानों की स्मृति में उनके ही गांवों में स्मारक स्थापित करने का निर्णय लिया गया है , ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके बलिदान से प्रेरणा ले सकें। पुलिस महानिदेशक ने भी श्रद्धांजलि उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के प्रारंभ में राज्यपाल को परेड द्वारा सलामी दी गई और पाल-बियरर पार्टी द्वारा पुलिस जवानों के सम्मान सूची का प्रस्तुतीकरण किया गया। श्रद्धांजलि उद्बोधन पश्चात सम्मान सूची का स्मारक कोष में संस्थापन किया गया एवं शहीदों को सलामी दी गई। संपूर्ण भारत में 01 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 तक कर्त्तव्य की वेदी पर शहीद हुये सुरक्षा कर्मियों की नामावली का वाचन कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई। महामहिम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस अधिकारियों एवं जवानों के परिजनों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुये उनके साथ सदैव खड़े रहने का विश्वास दिलाया और उन्हें शाल , श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट किये। इस अवसर पर विधायक मोतीलाल साहू , अनुज शर्मा , पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी , पुलिसकर्मी व शहीद जवानों के परिजन उपस्थित थे।

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