एम्स रायपुर में “भारत में अंगदान और ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) बढ़ाने के उपाय” पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन



एम्स रायपुर में 25 अक्टूबर 2025 को “भारत में अंगदान और ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) बढ़ाने के उपाय” विषय पर एक ज्ञानवर्धक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान डॉ. दिपांकर भौमिक, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी विभाग, एम्स नई दिल्ली द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने भारत में अंगदान दर बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन के उभरते क्षेत्र पर प्रकाश डाला।
डॉ. भौमिक ने बताया कि भारत में हर वर्ष लगभग पाँच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, किंतु मृतक अंगदाता दर विश्व में सबसे कम है—लगभग 0.5 प्रति मिलियन जनसंख्या, जबकि स्पेन में यह 48 प्रति मिलियन और अमेरिका में उससे भी अधिक है। भारत अंग प्रत्यारोपण में तीसरे स्थान पर है, परंतु अधिकांश दाता जीवित व्यक्ति हैं। उन्होंने जनजागरूकता, मीडिया के माध्यम से प्रचार, और स्कूल-कॉलेजों में शिक्षा के ज़रिए मृतक अंगदान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने अस्पताल के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने, ब्रेन डेथ की घोषणा पर प्रशिक्षण, और शोक परामर्श (Grief Counselling) की व्यवस्था की जरूरत पर बल दिया। साथ ही उन्होंने अंगदान करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने और धार्मिक एवं सामुदायिक नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की भी अपील की।

ज़ीनोट्रांसप्लांटेशन के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. भौमिक ने बताया कि CRISPR-Cas जीन संपादन तकनीक जैसी वैज्ञानिक प्रगतियों ने इस क्षेत्र में नई रुचि जगाई है। 2024 में मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में किए गए पहले सफल सूअर-से-मनुष्य गुर्दा प्रत्यारोपण ने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस तकनीक को अपनाने से पहले नैतिकता, जैव-सुरक्षा और नियामक ढांचे से संबंधित चुनौतियों को संबोधित करना होगा।
लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त), कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ, एम्स रायपुर ने बताया कि संस्थान ने अब तक 68 गुर्दा प्रत्यारोपण और 91 नेत्र कॉर्नियल प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किए हैं। हाल ही में एक विशेष किडनी ट्रांसप्लांट वार्ड का उद्घाटन किया गया है, और अब हृदय तथा अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण इकाइयों के उन्नयन का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने नेफ्रोलॉजी विभाग को इस महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक व्याख्यान के सफल आयोजन के लिए बधाई दी।

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